Nios 10th Carnatic Music (243) Hindi Medium Solved Assignment TMA 2024-25

Carnatic Music (243)

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Nios 10th Carnatic Music (243) Hindi Medium Solved Assignment

20% Marks Of Theory

1. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(क) उस तत्व को उल्लिखित करें जो स्वर वाक्यांशों और भारतीय संगीत के राग को सुशोभित करता है।

उत्तर: भारतीय संगीत के स्वर वाक्यांशों और राग को सुशोभित करने वाला मुख्य तत्व है- सुर (स्वर)। सुरों का क्रम, उनकी गति और भाव ही किसी राग को विशिष्ट बनाते हैं। ये सुर ही राग को उसकी पहचान देते हैं और श्रोता के मन में भावनाओं को जगाते हैं। अन्य शब्दों में, सुर ही राग की आत्मा है।


2. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(क) ऐसा क्यों कहा जाता है कि शुरुआती लोगों के लिए राग सीखना आसान है? स्पष्ट करें।

उत्तर: राग भारतीय शास्त्रीय संगीत की जटिल संरचनाओं में से एक है। हालांकि, शुरुआती लोगों के लिए कुछ सरल राग सीखना आसान हो सकता है। इन रागों में स्वरों का क्रम अपेक्षाकृत सरल होता है और इन्हें समझना आसान होता है। लेकिन, राग की गहराई को समझने के लिए गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।


3. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(क) कोई दो वाद्ययंत्रों के नाम लिखिए जिनमें तार कंपन करने और ध्वनि उत्पन्न करने के लिए बने होते हैं।

उत्तर: वे दो वाद्ययंत्र जिनमें तार कंपन करके ध्वनि उत्पन्न करते हैं:

1. सितार: यह एक भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रमुख वाद्ययंत्र है। इसमें कई तार होते हैं जिन्हें प्लक करके ध्वनि निकाली जाती है।

2. गिटार: यह एक पश्चिमी संगीत का लोकप्रिय वाद्ययंत्र है। इसमें छह तार होते हैं जिन्हें प्लक करके या उंगलियों से दबाकर ध्वनि निकाली जाती है।

इन दोनों वाद्ययंत्रों में तारों को कंपन करके विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ और स्वर निकाले जाते हैं।


4. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(क) हारमोनियम और शहनाई भारत में इतने लोकप्रिय क्यों नहीं हुए? कोई चार कारण दीजिए।

उत्तर: इन वाद्ययंत्रों को कुछ विशिष्ट संदर्भों में क्यों कम पसंद किया जाता है।

1. शास्त्रीय संगीत में परंपरागत दृष्टिकोण: कुछ शास्त्रीय संगीतकारों का मानना है कि ये वाद्ययंत्र पारंपरिक भारतीय वाद्ययंत्रों की तुलना में स्वर की शुद्धता और भावनाओं को व्यक्त करने में कम सक्षम हैं।

2. आधुनिक वाद्ययंत्रों का प्रभाव: पश्चिमी संगीत के प्रभाव के कारण, कुछ लोग आधुनिक वाद्ययंत्रों को अधिक पसंद करते हैं।

3. संगीत की शैली: कुछ संगीत शैलियों में हारमोनियम और शहनाई का उपयोग कम होता है, जिससे इन वाद्ययंत्रों की लोकप्रियता सीमित हो सकती है।

4. सामाजिक और आर्थिक कारक: कुछ क्षेत्रों में, इन वाद्ययंत्रों को सीखने और बजाने के लिए संसाधनों की कमी हो सकती है, जिससे इनकी लोकप्रियता कम हो सकती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ संभावित कारण हैं और हारमोनियम और शहनाई की लोकप्रियता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।


5. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(ख) कर्नाटक संगीत में प्रयुक्त तार वाद्य को पवन वाद्य से संबद्ध करें और विस्तार से प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: कर्नाटक संगीत में तार वाद्य और पवन वाद्य दोनों का ही महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन इन दोनों के बीच कई मौलिक अंतर हैं।

• तार वाद्य: इन वाद्ययंत्रों में तारों को कंपन करके ध्वनि निकाली जाती है। कर्नाटक संगीत में प्रमुख तार वाद्य हैं वीणा, सितार और वायलिन। ये वाद्ययंत्र रागों की मधुरता और गहराई को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।

तार वाद्य: इन वाद्ययंत्रों में तारों को कंपन करके ध्वनि निकाली जाती है। कर्नाटक संगीत में प्रमुख तार वाद्य हैं वीणा, सितार और वायलिन। ये वाद्ययंत्र रागों की मधुरता और गहराई को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।

• पवन वाद्य: इन वाद्ययंत्रों में हवा को कंपन करके ध्वनि उत्पन्न की जाती है। कर्नाटक संगीत में प्रमुख पवन वाद्य हैं बांसुरी, नगास्वरम और फ्लूट। ये वाद्ययंत्र संगीत में गतिशीलता और भावनात्मक गहराई लाते हैं।

पवन वाद्य: इन वाद्ययंत्रों में हवा को कंपन करके ध्वनि उत्पन्न की जाती है। कर्नाटक संगीत में प्रमुख पवन वाद्य हैं बांसुरी, नगास्वरम और फ्लूट। ये वाद्ययंत्र संगीत में गतिशीलता और भावनात्मक गहराई लाते हैं।

तुलना:

  • राग की अभिव्यक्ति: दोनों ही वाद्ययंत्र रागों को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं, लेकिन तार वाद्य रागों की गहराई और मधुरता को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं, जबकि पवन वाद्य रागों की गतिशीलता और भावनात्मक गहराई को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं।
  • संगीत की शैली: तार वाद्य का उपयोग शास्त्रीय संगीत में अधिक किया जाता है, जबकि पवन वाद्य का उपयोग शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ लोक संगीत में भी किया जाता है।

निष्कर्ष:

कर्नाटक संगीत में तार वाद्य और पवन वाद्य दोनों ही अपनी-अपनी विशेषताओं और महत्व के साथ हैं। दोनों ही वाद्ययंत्र संगीत को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


6. नीचे दी गई परियोजनाओं में से कोई एक परियोजना तैयार कीजिए।

(क) सुषिर वाद्य की तीन तस्वीरें एकत्र करें और उन्हें अपनी परियोजना फ़ाइल में चिपकाएँ। अब इनमें से प्रत्येक उपकरण के बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर: तीन सुषिर वाद्य: एक संक्षिप्त परिचय:

सुषिर वाद्य वे वाद्य होते हैं जिनमें हवा को कंपन करके ध्वनि निकाली जाती है। ये वाद्य भारतीय संगीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए तीन प्रमुख सुषिर वाद्य के बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. बांसुरी:

  • परिचय: बांसुरी एक प्राचीन और लोकप्रिय सुषिर वाद्य है। यह आमतौर पर बांस से बनाई जाती है और इसमें छेद होते हैं जिनमें उंगलियों से दबाकर विभिन्न स्वर निकाले जाते हैं।
  • ध्वनि: बांसुरी की ध्वनि मधुर और मधुर होती है। इसे शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत दोनों में ही बजाया जाता है।
  • विशेषताएं: बांसुरी की ध्वनि को नियंत्रित करना आसान होता है और यह विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होती है।

बांसुरी:  परिचय: बांसुरी एक प्राचीन और लोकप्रिय सुषिर वाद्य है। यह आमतौर पर बांस से बनाई जाती है और इसमें छेद होते हैं जिनमें उंगलियों से दबाकर विभिन्न स्वर निकाले जाते हैं। ध्वनि: बांसुरी की ध्वनि मधुर और मधुर होती है। इसे शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत दोनों में ही बजाया जाता है। विशेषताएं: बांसुरी की ध्वनि को नियंत्रित करना आसान होता है और यह विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होती है।

2. शहनाई:

  • परिचय: शहनाई एक पीतल का वाद्य है जिसका उपयोग मुख्यतः शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। इसकी ध्वनि तेज और तीक्ष्ण होती है।
  • ध्वनि: शहनाई की ध्वनि बहुत ही विशिष्ट और पहचानने योग्य होती है। यह ध्वनि उत्सवों और धार्मिक आयोजनों में भी बजाई जाती है।
  • विशेषताएं: शहनाई की ध्वनि में एक शक्तिशाली प्रभाव होता है और यह उत्सव के माहौल को बनाने में मदद करती है।

शहनाई:  परिचय: शहनाई एक पीतल का वाद्य है जिसका उपयोग मुख्यतः शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। इसकी ध्वनि तेज और तीक्ष्ण होती है। ध्वनि: शहनाई की ध्वनि बहुत ही विशिष्ट और पहचानने योग्य होती है। यह ध्वनि उत्सवों और धार्मिक आयोजनों में भी बजाई जाती है। विशेषताएं: शहनाई की ध्वनि में एक शक्तिशाली प्रभाव होता है और यह उत्सव के माहौल को बनाने में मदद करती है।

3. नगास्वरम:

  • परिचय: नगास्वरम दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय सुषिर वाद्य है। यह पीतल का बना होता है और इसकी ध्वनि बहुत तेज होती है।
  • ध्वनि: नगास्वरम की ध्वनि बहुत तेज और तीक्ष्ण होती है। इसे मंदिरों में पूजा के दौरान और उत्सवों में बजाया जाता है।
  • विशेषताएं: नगास्वरम की ध्वनि में एक आध्यात्मिक प्रभाव होता है और यह धार्मिक आयोजनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नगास्वरम:  परिचय: नगास्वरम दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय सुषिर वाद्य है। यह पीतल का बना होता है और इसकी ध्वनि बहुत तेज होती है। ध्वनि: नगास्वरम की ध्वनि बहुत तेज और तीक्ष्ण होती है। इसे मंदिरों में पूजा के दौरान और उत्सवों में बजाया जाता है। विशेषताएं: नगास्वरम की ध्वनि में एक आध्यात्मिक प्रभाव होता है और यह धार्मिक आयोजनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष: 

ये तीनों ही सुषिर वाद्य भारतीय संगीत की समृद्धि को दर्शाते हैं। इनकी ध्वनि और उपयोग अलग-अलग होते हैं, लेकिन सभी एक बात में समान हैं - वे भारतीय संगीत को एक अद्वितीय पहचान देते हैं।


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